परिचय :
अधरं मधुरं (Adharam Madhuram) मधुराष्टकम (Madhura Ashtakam) नामक स्तोत्र की पहली पंक्ति है । इस स्तोत्र की रचना महान वैष्णव संत श्री वल्लभाचार्य जी ने की थी। मधुराष्टकम् में भगवान श्रीकृष्ण के अद्वितीय माधुर्य (मधुरता) का वर्णन है। यह माधुर्य केवल भौतिक नहीं है, अपितु उसमें श्रीकृष्ण का अलौकिक आकर्षण, प्रेम और आनंद निहित है। श्रीकृष्ण के अधरों से निकले मधुर वचन, उनकी बंसी की तान, और उनकी मधुर मुस्कान भक्तों को आत्मिक शांति और अलौकिक आनंद प्रदान करती है।
आध्यात्मिक भाव:
भगवान श्रीकृष्ण की वाणी , उनका हर अंग और उनका हर कार्य “मधुर”(सौन्दर्ययुक्त ) है। यह “माधुर्य” सांसारिक सौन्दर्य से परे है – यह परब्रह्म की दिव्य अनुभूति है।
“अधरं मधुरं” के माध्यम से वल्लभाचार्य जी कहते हैं कि जब मन पूर्णतः भक्ति में लीन होता है, तो प्रभु के हर रूप, हर कार्य में केवल माधुर्य की ही अनुभूति होती है।

अधरं मधुरं (Adharam Madhuram): मधुराष्टकम (Madhura Ashtakam) lyrics in sanskrit
अधरं मधुरं वदनं मधुरंनयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥1॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरंवसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥2॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरःपाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥3॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरंभुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥4॥
करणं मधुरं तरणं मधुरंहरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥5॥
गुञ्जा मधुरा माला मधुरायमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥6॥
गोपी मधुरा लीला मधुरायुक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥7॥
गोपा मधुरा गावो मधुरायष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥8॥
अधरं मधुरं (Adharam Madhuram): मधुराष्टकम (Madhura Ashtakam) lyrics in English
Adharam Madhuram Vadanam Madhuram Nayanam Madhuram Hasitam Madhuram ।
Hridayam Madhuram Gamanam Madhuram Madhuraadhipaterakhilam Madhuram ॥1॥
Vachanam Madhuram Charitam Madhuram Vasanam Madhuram Valitam Madhuram ।
Chalitam Madhuram Bhramitam Madhuram Madhuraadhipaterakhilam Madhuram ॥2॥
Venur Madhuro Renur Madhurah Paanir Madhurah Paadau Madhurau ।
Nrityam Madhuram Sakhyam Madhuram Madhuraadhipaterakhilam Madhuram ॥3॥
Gitam Madhuram Pitam Madhuram Bhuktam Madhuram Suptam Madhuram ।
Roopam Madhuram Tilakam Madhuram Madhuraadhipaterakhilam Madhuram ॥4॥
Karanam Madhuram Taranam Madhuram Haranam Madhuram Ramanam Madhuram ।
Vamitam Madhuram Shamitam Madhuram Madhuraadhipaterakhilam Madhuram ॥5॥
Gunja Madhura Mala Madhura Yamuna Madhura Vichi Madhura ।
Salilam Madhuram Kamalam Madhuram Madhuraadhipaterakhilam Madhuram ॥6॥
Gopi Madhura Leela Madhura Yuktam Madhuram Muktam Madhuram ।
Drishtam Madhuram Shishtam Madhuram Madhuraadhipaterakhilam Madhuram ॥7॥
Gopa Madhura Gaavo Madhura Yashtir Madhura Srishtir Madhura ।
Dalitam Madhuram Phalitam Madhuram Madhuraadhipaterakhilam Madhuram ॥8॥
अधरं मधुरं (Adharam Madhuram): मधुराष्टकम (Madhura Ashtakam) के श्लोकों का अर्थ हिंदी में (Meaning in Hindi)
श्रीकृष्ण के होंठ मधुर हैं, उनका मुख मधुर है। उनकी आँखें मधुर हैं, उनका हास्य मधुर है।
उनका हृदय मधुर है, उनकी चाल भी मधुर है। मधुरता के स्वामी श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है॥1॥
श्रीकृष्ण के वचन मधुर हैं, उनका चरित्र मधुर है। उनके वस्त्र मधुर हैं, उनका झुकाव भी मधुर है।
उनका चलना मधुर है, उनका विचरण मधुर है। मधुरता के स्वामी श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है॥2॥
श्रीकृष्ण की बंसी मधुर है, उनकी धूल (रेणु) भी मधुर है। उनके हाथ मधुर हैं, उनके चरण मधुर हैं।
उनका नृत्य मधुर है, उनका सखा भाव (मित्रता) भी मधुर है। मधुरता के स्वामी श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है॥3॥
श्रीकृष्ण का गान मधुर है, उनका पीना मधुर है। उनका भोजन करना मधुर है, उनकी नींद भी मधुर है।
उनका रूप मधुर है, उनका तिलक (मस्तक पर चिह्न) भी मधुर है। मधुरता के स्वामी श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है॥4॥
श्रीकृष्ण की क्रियाएँ मधुर हैं, उनका पार उतराना (उद्धार करना) मधुर है। उनका युद्ध करना भी मधुर है, उनका रमण (प्रेम) भी मधुर है।
उनकी वाणी मधुर है, उनका शांत करना (समाधान) भी मधुर है। मधुरता के स्वामी श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है॥5॥
श्रीकृष्ण की गूँज (आवाज़) मधुर है, उनकी माला मधुर है। यमुना नदी मधुर है, उसकी तरंगें भी मधुर हैं।
उसका जल मधुर है, कमल (कमल पुष्प) मधुर है। मधुरता के स्वामी श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है॥6॥
गोपियाँ मधुर हैं, श्रीकृष्ण की लीलाएँ मधुर हैं। उनका मिलन मधुर है, उनका भोग मधुर है।
उनकी दशा (स्थिति) मधुर है, उनका दर्शन मधुर है। मधुरता के स्वामी श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है॥7॥
गोप (ग्वाले) मधुर हैं, गोपियाँ मधुर हैं। उनकी छड़ी (गोप यष्टि) मधुर है, उनकी सृष्टि मधुर है।
उनकी लीला से जो कुछ टूटता है वह भी मधुर है, और जो फलित होता है वह भी मधुर है। मधुरता के स्वामी श्रीकृष्ण का सब कुछ मधुर है॥8॥
मधुराष्टकम् पढ़ने के लाभ (Benefits of Reading Madhurashtakam)
1. मन को शांति और आनंद की प्राप्ति
इस स्तोत्र में श्रीकृष्ण की हर लीला और रूप का वर्णन है। इसका पाठ करने से मन शांत होता है, हृदय आनंद से भर जाता है, और तनाव दूर होता है।
2. भक्ति और प्रेम में वृद्धि
मधुराष्टकम् में प्रेम और माधुर्य है। इसे नियमित पढ़ने से हृदय में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम जागृत होता है।
3.सकारात्मक ऊर्जा का संचार
इस स्तोत्र में सकारात्मक और दिव्य ऊर्जा है। इसका जप या गायन वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाता है।
4. वाणी में मधुरता आती है
जैसे भगवान श्रीकृष्ण के वचन मधुर हैं, वैसे ही मधुराष्टकम् का नियमित पाठ व्यक्ति की वाणी में भी मधुरता लाता है। क्रोध, कटुता और नकारात्मकता दूर होती है।
5.घर में सुख-शांति और समृद्धि
प्रतिदिन सुबह या शाम मधुराष्टकम् का पाठ करने से घर का माहौल शांत, प्रेमपूर्ण और भक्तिपूर्ण बनता है। गृहकलह, मानसिक तनाव आदि दूर होते हैं।
6.ध्यान और साधना में सहायता
यह स्तोत्र मन को एकाग्र करता है। ध्यान या जप से पहले इसका पाठ करने से साधना में गहराई आती है और मन भक्ति डूब जाता है।
7. श्रीकृष्ण कृपा की प्राप्ति
इसके पाठे से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
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