परिचय :
गणेश अष्टकम् (Ganesha Ashtakam) भगवान गणेश को समर्पित एक संस्कृत स्तोत्र है। यह आठ श्लोकों का एक भक्ति-गीत है जिसमें भगवान गणेश के विभिन्न रूपों, लीलाओं और गुणों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने, विघ्नों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। गणेश अष्टकम् का पाठ विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, संक्रांति, और नवीन कार्यों के प्रारंभ में किया जाता है। इसके पाठ से कोई भी कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है।

गणेश अष्टकम् हिंदी अर्थ सहित (Ganesha Ashtakam lyrics with hindi meaning)
श्री गणेशाय नमः
सर्वे उचुः
यतोऽनन्तशक्तेरनन्ताश्च जीवायतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते।
यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥1॥
जिसकी अनंत शक्तियों से अनंत जीव उत्पन्न हुए हैं, जिस निर्गुण से अप्रमेय (अनगिनत) गुणों की उत्पत्ति हुई है , और जिससे तीनों गुणों (सत्त्व, रज, तम) के भेदों वाला यह सारा संसार भासित (प्रकाशित)होता है — ऐसे गणेश को हम नमन करते हैं और भजते हैं।
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाऽब्जासनोविश्वगो विश्वगोप्ता।
तथेन्द्रादयो देवसङ्घा मनुष्याःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥2॥
जिनसे यह समस्त जगत उत्पन्न हुआ है, ब्रह्मा (अब्जासन-कमल के आसन वाले ), विश्वव्यापी विष्णु (विश्वगोप्ता), इन्द्र आदि देवगण और समस्त मनुष्य उत्पन्न हुए हैं — ऐसे गणेश को हम सदा नमन करते हैं और भजते हैं ।
यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं चयतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः।
यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥3॥
जिससे अग्नि, सूर्य हुए और जिससे पृथ्वी, जल, समुद्र, चन्द्रमा, आकाश, वायु हुए और जिससे सभी स्थावर-जंगम (चल-फिर न सकने वाले एवं चलने वाले ) जीव तथा वृक्ष समूह उत्पन्न हुए — ऐसे गणेश जी को हम सदा नमन करते हैं और भजते हैं ।
यतो दानवाः किन्नरा यक्षसङ्घायतश्चारणा वारणाः श्वापदाश्च।
यतः पक्षिकीटा यतो वीरूधश्चसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥4॥
जिनसे दानव, किन्नर, यक्ष समूह , हाथी, हिंसक जानवर, पक्षी, कीट और लताएं उत्पन्न हुईं — ऐसे गणेश को हम सदा नमन करते हैं और भजते हैं ।
यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यतःसम्पदो भक्तसन्तोषिकाः स्युः।
यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥5॥
जिनसे मुमुक्षु (मोक्ष की इच्छा रखने वालों) को बुद्धि प्राप्त होती है एवं अज्ञान का नाश होता है, जिनसे भक्तों को संतोष देने वाली सम्पदा प्राप्त होती है । जिनसे विघ्नों का नाश होता है हैं और कार्यों की सिद्धि (सफलता) होती है —ऐसे गणेश को हम सदा नमन करते हैं और भजते हैं ।
यतः पुत्रसम्पद्यतो वाञ्छितार्थोयतोऽभक्तविघ्नास्तथाऽनेकरूपाः।
यतः शोकमोहौ यतः काम एवसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥6॥
जिनसे संतान की प्राप्ति, मनोवांछित अर्थ की प्राप्ति होती है; जिनसे अभक्तों को अनेक प्रकार के विघ्न प्राप्त होते हैं तथा जिनसे शोक, मोह और काम उत्पन्न होते हैं — ऐसे गणेश को हम सदा नमन करते हैं और भजते हैं ।
यतोऽनन्तशक्तिः स शेषो बभूवधराधारणेऽनेकरूपे च शक्तः।
यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नानासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥7॥
जिनसे अनन्त शक्ति वाले शेषनाग हुए जो पृथ्वी को धारण करने में समर्थ एवं अनेक रूप लेने में समर्थ हुए । जिनसे अनेक प्रकार के नाना प्रकार के स्वर्गलोक प्रकट हुए — ऐसे गणेश को हम सदा नमन करते हैं और भजते हैं ।
यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिःसदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति।
परब्रह्मरूपं चिदानन्दभूतंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥8॥
जिनका वर्णन करने में वेदों की वाणी भी असमर्थ हो जाती है, जिन्हें मन भी पूरी तरह जान नहीं सकता, जिन्हें ‘नेति-नेति’ कहकर श्रुतियाँ समझाने का प्रयास करती हैं, जो चिदानंद स्वरूप परब्रह्म है— ऐसे गणेश को हम सदा नमन करते हैं और भजते हैं ।
॥ फल श्रुति ॥
श्रीगणेश उवाच।
भगवान गणेश बोले
पुनरूचे गणाधीशःस्तोत्रमेतत्पठेन्नरः।
त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्यसर्वं कार्यं भविष्यति॥9॥
गणेश जी कहते हैं — जो कोई भक्त इस स्तोत्र का तीन संध्या तीन दिन तक पाठ करेगा , उसके सभी कार्य सिद्ध होंगे।
यो जपेदष्टदिवसंश्लोकाष्टकमिदं शुभम्।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तुसोऽष्टसिद्धिरवानप्नुयात्॥10॥
जो व्यक्ति लगातार आठ दिनों तक इस अष्टक का जप करता है, या गणेश चतुर्थी के दिन आठ बार इसका पाठ करता है — उसे आठों सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं (अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वशित्व, गरिमा)।
यः पठेन्मासमात्रं तुदशवारं दिने दिने।
स मोचयेद्वन्धगतंराजवध्यं न संशयः॥11॥
जो व्यक्ति एक महीने तक प्रतिदिन दस बार इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह न केवल बंधनों से मुक्त होता है, बल्कि अगर कोई राजकीय संकट या सज़ा में हो, तो उससे भी निश्चित रूप से छुटकारा पा लेता है।
विद्याकामो लभेद्विद्यांपुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात्।
वाञ्छितांल्लभतेसर्वानेकविंशतिवारतः॥12॥
जो व्यक्ति विद्या की इच्छा से इसका पाठ करता है, उसे विद्या मिलती है; जो संतान चाहता है, उसे संतान प्राप्त होती है।
यदि कोई इसे इक्कीस बार पढ़े, तो उसे सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
यो जपेत्परया भक्तयागजाननपरो नरः।
एवमुक्तवा ततोदेवश्चान्तर्धानं गतः प्रभुः॥13॥
जो भी व्यक्ति गहरी श्रद्धा और भक्ति से इस स्तोत्र का जप करता है, और गजानन (गणेश जी) में मन लगाता है — उसे निश्चित रूप से लाभ होता है।
इतना कहकर भगवान गणेश अन्तर्धान हो गए ।
गणेश अष्टकम (Ganesha Ashtakam) से मनोवांछित फल की प्राप्ति
अगर आप किसी कार्य की सफलता चाहते हैं — 3 दिन त्रिसंध्या पाठ करें
सिद्धियों की प्राप्ति चाहते हैं — गणेश चतुर्थी को 8 बार पाठ करें
जीवन की रुकावटों से मुक्ति — 1 माह तक 10 बार प्रतिदिन पाठ करें
इच्छाओं की पूर्ति — 21 बार पाठ करें, सच्ची भक्ति के साथ
यह भी पढ़ें :
श्रीरामरक्षास्तोत्रम् (Shri Rama Raksha Stotram)
श्री सङ्कटनाशन गणेश स्तोत्रम् (Sankatanashana Ganesha Stotram)
जय गणेश/गणपति जी की आरती (Jai Ganesh/ganpati Ji Ki Aarti)
श्री गणपति स्तोत्रम् (Shri Ganapati Stotram)
ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम् (Rinmukti Ganesha Stotram)
ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्रम्(Rinharta Ganesha Stotram)
श्री गणपत्यथर्वशीर्षम् स्तोत्रम्(Ganapati Atharvashirsha Stotram)