श्री ब्रह्मा जी आरती (Shree Brahma Ji Ki Aarti) का नियमित पाठ करने से ज्ञान, बुद्धि और सृजनात्मकता का विकास होता है। श्री ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है। वे वेदों के ज्ञाता और ज्ञान, सृजन व धर्म के प्रतीक हैं। हिन्दू धर्म में भगवान ब्रह्मा की आरती का विशेष महत्व है। भक्तगण उनकी आरती गाकर ज्ञान, सद्बुद्धि और रचनात्मकता की प्रार्थना करते हैं।

श्री ब्रह्मा जी आरती (Shree Brahma Ji Ki Aarti lyrics)
पितु मातु सहायक स्वामी सखा,तुम ही एक नाथ हमारे हो।
जिनके कुछ और आधार नहीं,तिनके तुम ही रखवारे हो।
सब भाँति सदा सुखदायक हो,दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।
प्रतिपाल करो सिगरे जग को,अतिशय करुणा उर धारे हो।
भुलि हैं हम तो तुमको,तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।
उपकारन को कछु अन्त नहीं,छिन ही छिन जो विस्तारे हो।
महाराज महा महिमा तुम्हरी,मुझसे बिरले बुधवारे हो।
शुभ शान्ति निकेतन प्रेमनिधि,मन मन्दिर के उजियारे हो।
इस जीवन के तुम जीवन हो,इन प्राणन के तुम प्यारे हो।
तुम सों प्रभु पाय ‘प्रताप’ हरि,केहि के अब और सहारे हो।
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