परिचय :
गणेश/गणपति जी की आरती (Ganesh/ganpati Ji Ki Aarti) भक्तिभाव से गाई जाती है और इसमें भगवान गणपति की महिमा, शक्ति और कृपा का गुणगान किया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है। उनकी आरती करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह आरती गणेश चतुर्थी एवं अन्य शुभ कार्यों के प्रारंभ में गाई जाती है।आरती के दौरान भक्त दीप जलाकर गणपति बप्पा का ध्यान करते हैं और उनसे कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

गणेश/गणपति जी की आरती (Ganesh/ganpati Ji Ki Aarti lyrics)
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
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