श्री बाँकेबिहारी की आरती (Shree Banke Bihari Ki Aarti) श्री बाँके बिहारी जी को समर्पित है। यह आरती विशेष रूप से वृंदावन के प्रसिद्ध बाँके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा गाई जाती है। इस आरती में श्री बाँके बिहारी जी की अद्भुत सुंदरता, आकर्षण और लीलाओं का वर्णन किया गया है। यह आरती उनकी मधुर मुस्कान, मोहक स्वरूप और रास लीला का गुणगान करती है। श्रद्धालु इस आरती को गाकर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने और भक्ति भाव से जुड़ने का प्रयास करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस आरती को गाने से मन को शांति, प्रेम, और आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होती है।

श्री बाँकेबिहारी की आरती (Shree Banke Bihari Ki Aarti lyrics)
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।
प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।
देखि छवि बलिहारी जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी।
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
दास अनाथ के नाथ आप हो।
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो।
हरि चरणों में शीश नवाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
श्री हरि दास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ।
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
श्री बाँकेबिहारी की आरती (Shree Banke Bihari Ki Aarti) गाने से मन में भक्ति, प्रेम और दिव्य आनंद की अनुभूति होती है। इस आरती के माध्यम से हम भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में श्रद्धा और समर्पण प्रकट करते हैं ।
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