परिचय :
श्री लक्ष्मी जी की आरती (Shree Lakshmi Ji Ki Aarti) श्रद्धा और भक्ति के साथ गाई जाती है, जिसमें उनकी कृपा, धन-संपत्ति और समृद्धि प्रदान करने वाली शक्ति का गुणगान किया जाता है। माँ लक्ष्मी को धन, वैभव और सौभाग्य की देवी माना जाता है। उनकी आरती करने से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। दीपावली, एवं अन्य विशेष पूजा के अवसर पर माँ लक्ष्मी की आरती गाई जाती है ।आरती के समय भक्त दीप जलाकर, फूल अर्पित कर और भक्ति भाव से माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हैं, जिससे जीवन में धन, वैभव और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

श्री लक्ष्मी जी की आरती (Shree Lakshmi Ji Ki Aarti lyrics)
ॐ जय लक्ष्मी माता
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥
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